सरल हिंदी का प्रयोग करते हुए सभी को हिंदी के साथ जोड़ें - सेल्व कुमार
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड के कोयंबत्तूर क्षेत्रीय कार्यालय में दि.19 एवं 20 जून, 2008 तक दक्षिणांचल के कोच्चिन एवं कोयंबत्तूर क्षेत्रों के राजभाषा समन्वयकों के लिए विशेष कार्यशाला सुसंपन्न हुई । दि.19 जून को कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन श्री रमेश संपत, प्रबंधक (वित्त) ने किया । श्रीमती चित्रा जी. अय्यर के प्रार्थना गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । श्री रमेश संपत ने अतिथियों का स्वागत किया । तदवसर पर अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा की आज हर क्षेत्र में प्रगति हो रही है । उन्होंने आह्वान किया कि हिंदी को कामकाज की भाषा बनाकर अपने कारोबार के साथ जोड़ी जाए । चेन्नई दक्षिणांचल कार्यालय के उप प्रबंधक (राजभाषा) डॉ. एस. बशीर ने राजभाषा समन्वयकों की भूमिका के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा कि तन-मन से राजभाषा की सेवा में लगे रहते हुए हिंदी के विकास को सुनिश्चित कर सकते हैं । हिंदी के लिए उपलब्ध साधनों का सही उपयोग करते हुए दैनिक कामकाज में राजभाषा नीति के कार्यान्यन के लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास किया जाए । इस अवसर पर मुख्य अथिति एवं व्याख्याता के रूप में उपस्थित डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य-सचिव, कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति एवं सहायक निदेशक (राजभाषा), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी समन्वयकों को निष्ठा के साथ राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी दायित्व को निभाने में पूरी रुचि दर्शानी चाहिए । आज उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए सभी आयामों में राजभाषा का विकास सुनिश्चित कर सकते हैं । तदनंतर कार्यशाला के प्रथम सत्र में डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने भारत सरकार की राजभाषा नीति के संबंध में व्याख्यान देते हुए राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधान, राजभाषा अधिनियम, नियम एवं राजभाषा संबंधी विभिन्न समितियों के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला । दूसरे सत्र में डॉ. एस. बशीर ने राजभाषा कार्यान्वयन के लिए बुनियादी आवश्यकताओं के संबंध में व्याख्यान देते हुए राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति हेतु जिन आयामों पर कार्य करना है, उनकी ओर सभी समन्वयकों का ध्यान आकर्षित किया । तीसरे सत्र में कोचिन क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य राजभाषा अनुवादक श्री रमेश प्रभु ने नकद पुरस्कार योजनाओं की जानकारी दी ।
दूसरे दिन कोयंबत्तूर क्षेत्र के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक श्री एम. सेल्व कुमार जी ने समन्वयकों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदीतर क्षेत्र में हिंदी सीखकर हिंदी के विकास के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य किया जा रहा है । यह इस क्षेत्र की एक विशिष्ट उपलब्धि है । स्कूली स्तर पर हिंदी की पढ़ाई न होने के बावजूद तमिलनाडु के लोग कार्यालयों में हिंदी सीखकर राजभाषा की श्रीवृद्धि में आत्मीयतापूर्वक अपना योगदान सुनिश्चित कर रहे हैं । अंग्रेज़ी में बातचीत करने की जगह कारपोरेशन के कारोबार में हिंदी का इस्तेमाल करते हुए आम जनता के साथ अच्छा संवाद स्थापित किया जा सकता है । समन्वयकों को कंप्यूटर का अधिकाधिक प्रयोग राजभाषा कार्यान्वयन कार्य में करने हेतु प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि सरल हिंदी का प्रयोग करते हुए सभी को हिंदी के साथ जोड़ने का प्रयास किया जाए । दूसरे दिन के प्रथम सत्र में डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने हिंदी के लिए उपलब्ध कंप्यूटर अनुप्रयोगों के संबंध में व्याख्यान दिया । उन्होंने अपने द्वारा बनाए गए ‘राजभाषा साधन’ कंपैक्ट डिस्क के संबंध में भी विस्तार से प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया कि इस सी.डी. का उपयोग करते हुए राजभाषा नीति के कार्यन्वयन में निश्चय ही प्रगति हासिल की जा सकती है । उन्होंने हिंदी के लिए यूनिकोड एवं विभिन्न वेब अनुप्रयोगों के संबंध में व्यावहारिक प्रस्तुतीकरण भी किया । राजभाषा साधन सी.डी. की उपयोगिता के आलोक में मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक श्री सेल्व कुमार जी तथा समस्त प्रतिभागियों ने इसके संकलन एवं प्रस्तुतीकरण के लिए डॉ. सी. जय शंकर बाबु की तारीफ़ करते हुए कहा समूचे भारत में राजभाषा के क्षेत्र में यह एक अनूठा प्रयास है । दुपहर के सत्र में आयकर कार्यालय की सहायक निदेशक (राजभाषा) श्रीमती विजयलक्ष्मी माधवन ने हिंदी टिप्पण एवं आलेखन पर अपना व्याख्यान दिया एवं अभ्यास भी करवाया । तदनंतर डॉ. बशीर ने कार्यालय में प्रयोग होने वाले मानक मसौदों के अनुवाद कार्य का अभ्यास करवाया । समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की । कार्यशाला का संयोजन कोयबंत्तूर क्षेत्रीय कार्यालय के सचिव श्री श्रीराम ने किया । श्री टी.ए. सुधाकुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला सुसंपन्न हुई । राजभाषा कार्यान्वयन कार्य में अपना सक्रिय योगदान सुनिश्चित करने की स्फूर्ति इस कार्यशाला से राजभाषा समन्वयकों को मिली ।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड के कोयंबत्तूर क्षेत्रीय कार्यालय में दि.19 एवं 20 जून, 2008 तक दक्षिणांचल के कोच्चिन एवं कोयंबत्तूर क्षेत्रों के राजभाषा समन्वयकों के लिए विशेष कार्यशाला सुसंपन्न हुई । दि.19 जून को कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन श्री रमेश संपत, प्रबंधक (वित्त) ने किया । श्रीमती चित्रा जी. अय्यर के प्रार्थना गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । श्री रमेश संपत ने अतिथियों का स्वागत किया । तदवसर पर अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा की आज हर क्षेत्र में प्रगति हो रही है । उन्होंने आह्वान किया कि हिंदी को कामकाज की भाषा बनाकर अपने कारोबार के साथ जोड़ी जाए । चेन्नई दक्षिणांचल कार्यालय के उप प्रबंधक (राजभाषा) डॉ. एस. बशीर ने राजभाषा समन्वयकों की भूमिका के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा कि तन-मन से राजभाषा की सेवा में लगे रहते हुए हिंदी के विकास को सुनिश्चित कर सकते हैं । हिंदी के लिए उपलब्ध साधनों का सही उपयोग करते हुए दैनिक कामकाज में राजभाषा नीति के कार्यान्यन के लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास किया जाए । इस अवसर पर मुख्य अथिति एवं व्याख्याता के रूप में उपस्थित डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य-सचिव, कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति एवं सहायक निदेशक (राजभाषा), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी समन्वयकों को निष्ठा के साथ राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी दायित्व को निभाने में पूरी रुचि दर्शानी चाहिए । आज उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए सभी आयामों में राजभाषा का विकास सुनिश्चित कर सकते हैं । तदनंतर कार्यशाला के प्रथम सत्र में डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने भारत सरकार की राजभाषा नीति के संबंध में व्याख्यान देते हुए राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधान, राजभाषा अधिनियम, नियम एवं राजभाषा संबंधी विभिन्न समितियों के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला । दूसरे सत्र में डॉ. एस. बशीर ने राजभाषा कार्यान्वयन के लिए बुनियादी आवश्यकताओं के संबंध में व्याख्यान देते हुए राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति हेतु जिन आयामों पर कार्य करना है, उनकी ओर सभी समन्वयकों का ध्यान आकर्षित किया । तीसरे सत्र में कोचिन क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य राजभाषा अनुवादक श्री रमेश प्रभु ने नकद पुरस्कार योजनाओं की जानकारी दी ।
दूसरे दिन कोयंबत्तूर क्षेत्र के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक श्री एम. सेल्व कुमार जी ने समन्वयकों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदीतर क्षेत्र में हिंदी सीखकर हिंदी के विकास के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य किया जा रहा है । यह इस क्षेत्र की एक विशिष्ट उपलब्धि है । स्कूली स्तर पर हिंदी की पढ़ाई न होने के बावजूद तमिलनाडु के लोग कार्यालयों में हिंदी सीखकर राजभाषा की श्रीवृद्धि में आत्मीयतापूर्वक अपना योगदान सुनिश्चित कर रहे हैं । अंग्रेज़ी में बातचीत करने की जगह कारपोरेशन के कारोबार में हिंदी का इस्तेमाल करते हुए आम जनता के साथ अच्छा संवाद स्थापित किया जा सकता है । समन्वयकों को कंप्यूटर का अधिकाधिक प्रयोग राजभाषा कार्यान्वयन कार्य में करने हेतु प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि सरल हिंदी का प्रयोग करते हुए सभी को हिंदी के साथ जोड़ने का प्रयास किया जाए । दूसरे दिन के प्रथम सत्र में डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने हिंदी के लिए उपलब्ध कंप्यूटर अनुप्रयोगों के संबंध में व्याख्यान दिया । उन्होंने अपने द्वारा बनाए गए ‘राजभाषा साधन’ कंपैक्ट डिस्क के संबंध में भी विस्तार से प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया कि इस सी.डी. का उपयोग करते हुए राजभाषा नीति के कार्यन्वयन में निश्चय ही प्रगति हासिल की जा सकती है । उन्होंने हिंदी के लिए यूनिकोड एवं विभिन्न वेब अनुप्रयोगों के संबंध में व्यावहारिक प्रस्तुतीकरण भी किया । राजभाषा साधन सी.डी. की उपयोगिता के आलोक में मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक श्री सेल्व कुमार जी तथा समस्त प्रतिभागियों ने इसके संकलन एवं प्रस्तुतीकरण के लिए डॉ. सी. जय शंकर बाबु की तारीफ़ करते हुए कहा समूचे भारत में राजभाषा के क्षेत्र में यह एक अनूठा प्रयास है । दुपहर के सत्र में आयकर कार्यालय की सहायक निदेशक (राजभाषा) श्रीमती विजयलक्ष्मी माधवन ने हिंदी टिप्पण एवं आलेखन पर अपना व्याख्यान दिया एवं अभ्यास भी करवाया । तदनंतर डॉ. बशीर ने कार्यालय में प्रयोग होने वाले मानक मसौदों के अनुवाद कार्य का अभ्यास करवाया । समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की । कार्यशाला का संयोजन कोयबंत्तूर क्षेत्रीय कार्यालय के सचिव श्री श्रीराम ने किया । श्री टी.ए. सुधाकुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला सुसंपन्न हुई । राजभाषा कार्यान्वयन कार्य में अपना सक्रिय योगदान सुनिश्चित करने की स्फूर्ति इस कार्यशाला से राजभाषा समन्वयकों को मिली ।
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