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नराकास वार्षिक राजभाषा पुरस्कार - TOLIC ANNUAL OL AWARDS 2009-10

Saturday, June 21, 2008

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड में राजभाषा समन्वयकों के लिए हिंदी कार्यशाला संपन्न


सरल हिंदी का प्रयोग करते हुए सभी को हिंदी के साथ जोड़ें - सेल्व कुमार

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड के कोयंबत्तूर क्षेत्रीय कार्यालय में दि.19 एवं 20 जून, 2008 तक दक्षिणांचल के कोच्चिन एवं कोयंबत्तूर क्षेत्रों के राजभाषा समन्वयकों के लिए विशेष कार्यशाला सुसंपन्न हुई । दि.19 जून को कार्यशाला का औपचारिक उद्घाटन श्री रमेश संपत, प्रबंधक (वित्त) ने किया । श्रीमती चित्रा जी. अय्यर के प्रार्थना गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ । श्री रमेश संपत ने अतिथियों का स्वागत किया । तदवसर पर अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा की आज हर क्षेत्र में प्रगति हो रही है । उन्होंने आह्वान किया कि हिंदी को कामकाज की भाषा बनाकर अपने कारोबार के साथ जोड़ी जाए । चेन्नई दक्षिणांचल कार्यालय के उप प्रबंधक (राजभाषा) डॉ. एस. बशीर ने राजभाषा समन्वयकों की भूमिका के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा कि तन-मन से राजभाषा की सेवा में लगे रहते हुए हिंदी के विकास को सुनिश्चित कर सकते हैं । हिंदी के लिए उपलब्ध साधनों का सही उपयोग करते हुए दैनिक कामकाज में राजभाषा नीति के कार्यान्यन के लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास किया जाए । इस अवसर पर मुख्य अथिति एवं व्याख्याता के रूप में उपस्थित डॉ. सी. जय शंकर बाबु, सदस्य-सचिव, कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति एवं सहायक निदेशक (राजभाषा), कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी समन्वयकों को निष्ठा के साथ राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी दायित्व को निभाने में पूरी रुचि दर्शानी चाहिए । आज उपलब्ध सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए सभी आयामों में राजभाषा का विकास सुनिश्चित कर सकते हैं । तदनंतर कार्यशाला के प्रथम सत्र में डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने भारत सरकार की राजभाषा नीति के संबंध में व्याख्यान देते हुए राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधान, राजभाषा अधिनियम, नियम एवं राजभाषा संबंधी विभिन्न समितियों के संबंध में विस्तार से प्रकाश डाला । दूसरे सत्र में डॉ. एस. बशीर ने राजभाषा कार्यान्वयन के लिए बुनियादी आवश्यकताओं के संबंध में व्याख्यान देते हुए राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति हेतु जिन आयामों पर कार्य करना है, उनकी ओर सभी समन्वयकों का ध्यान आकर्षित किया । तीसरे सत्र में कोचिन क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य राजभाषा अनुवादक श्री रमेश प्रभु ने नकद पुरस्कार योजनाओं की जानकारी दी ।
दूसरे दिन कोयंबत्तूर क्षेत्र के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक श्री एम. सेल्व कुमार जी ने समन्वयकों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदीतर क्षेत्र में हिंदी सीखकर हिंदी के विकास के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य किया जा रहा है । यह इस क्षेत्र की एक विशिष्ट उपलब्धि है । स्कूली स्तर पर हिंदी की पढ़ाई न होने के बावजूद तमिलनाडु के लोग कार्यालयों में हिंदी सीखकर राजभाषा की श्रीवृद्धि में आत्मीयतापूर्वक अपना योगदान सुनिश्चित कर रहे हैं । अंग्रेज़ी में बातचीत करने की जगह कारपोरेशन के कारोबार में हिंदी का इस्तेमाल करते हुए आम जनता के साथ अच्छा संवाद स्थापित किया जा सकता है । समन्वयकों को कंप्यूटर का अधिकाधिक प्रयोग राजभाषा कार्यान्वयन कार्य में करने हेतु प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि सरल हिंदी का प्रयोग करते हुए सभी को हिंदी के साथ जोड़ने का प्रयास किया जाए । दूसरे दिन के प्रथम सत्र में डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने हिंदी के लिए उपलब्ध कंप्यूटर अनुप्रयोगों के संबंध में व्याख्यान दिया । उन्होंने अपने द्वारा बनाए गए ‘राजभाषा साधन’ कंपैक्ट डिस्क के संबंध में भी विस्तार से प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया कि इस सी.डी. का उपयोग करते हुए राजभाषा नीति के कार्यन्वयन में निश्चय ही प्रगति हासिल की जा सकती है । उन्होंने हिंदी के लिए यूनिकोड एवं विभिन्न वेब अनुप्रयोगों के संबंध में व्यावहारिक प्रस्तुतीकरण भी किया । राजभाषा साधन सी.डी. की उपयोगिता के आलोक में मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक श्री सेल्व कुमार जी तथा समस्त प्रतिभागियों ने इसके संकलन एवं प्रस्तुतीकरण के लिए डॉ. सी. जय शंकर बाबु की तारीफ़ करते हुए कहा समूचे भारत में राजभाषा के क्षेत्र में यह एक अनूठा प्रयास है । दुपहर के सत्र में आयकर कार्यालय की सहायक निदेशक (राजभाषा) श्रीमती विजयलक्ष्मी माधवन ने हिंदी टिप्पण एवं आलेखन पर अपना व्याख्यान दिया एवं अभ्यास भी करवाया । तदनंतर डॉ. बशीर ने कार्यालय में प्रयोग होने वाले मानक मसौदों के अनुवाद कार्य का अभ्यास करवाया । समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की । कार्यशाला का संयोजन कोयबंत्तूर क्षेत्रीय कार्यालय के सचिव श्री श्रीराम ने किया । श्री टी.ए. सुधाकुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यशाला सुसंपन्न हुई । राजभाषा कार्यान्वयन कार्य में अपना सक्रिय योगदान सुनिश्चित करने की स्फूर्ति इस कार्यशाला से राजभाषा समन्वयकों को मिली ।

राजभाषा साधन सी.डी. के बहाने अपनी बात


राजभाषा साधन कंपैक्ट डिस्क का प्रस्तुतीकरण

राजभाषा के रूप में संवैधानिक मान्यता प्राप्त हिंदी भाषा भारत की बहु प्रचलित भाषा है । वैश्विक धरातल पर भी इसके विस्तार एवं विकास की संभावनाएँ नज़र आ रही हैं । जहाँ एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिकों को अपने राष्ट्र की विरासत के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए वहीं विश्व स्तर पर पहचान के लिए अपनी भाषा एवं अपनी संस्कृति के प्रति भी विशेष गौरव होना आवश्यक है । विश्व में हिंदी हमारी अस्मिता का प्रतीक है । भारत सरकार की राजभाषा नीति के आलोक में सरकारी कामकाज हिंदी का प्रयोग करना सरकारी कर्मियों का नैतिक दायित्व है । इस दायित्व को निभाने में किसी बहाने कोई छूट नहीं लिया जाना चाहिए । संवैधानिक प्रावधानों के प्रति हमें प्रतिबद्ध होना ज़रूरी है । वैश्वीकरण के इस दौर में भी हमें दूसरी राय की ज़रूरी नहीं है । हिंदी विश्व भाषा के रूप में विकसित होने के लिए योग्य, सक्षम व साधन संपन्न भाषा है । इसके विस्तार व विकास से दुनिया में हमारी प्रतिष्ठा बढ़ेगी । हिंदी भारत में किसी एक प्रदेश या बोली से विकसित भाषा नहीं है । इसमें भारत की समस्त भाषाओं की सुगंध फैली हुई है । भूमंडलीकरण के दौर में वैश्विक धरातल पर भारतीय अस्मिता के लिए इसके विस्तार एवं विकास के लिए संकल्पबद्ध होना प्रत्येक भारतवासी का कर्त्तव्य है ।
सूचना-प्रौद्योगिकी ने आज हमारे जीवन के समस्त पहलुओं को प्रभावित किया है । भाषाओं के विकास की दिशा में यह वरदान साबित हुआ है । सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों का ध्यान भाषाओं की ओर भी आकृष्ट हुआ है । परिणामतः भाषाओं के विकास में उपयोगी कई उपकरण इनके द्वारा विसकित किए गए हैं । इनके प्रयोग से हम अपने कामकाज में गतिशीलता एवं गुणात्मकता सुनिश्चित कर सकते हैं । राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रयोग, प्रचार-प्रसार के लिए आज कई साधन उपलब्ध हैं । ऐसे साधनों एवं उपकरणों के प्रति जागरूकता के अभाव में इनका प्रयोग एवं सदुपयोग नहीं हो पाता है ।
आज भाषाई अनुप्रयोगों के लिए विकसित उपकरणों की संख्या सैकडों में है । भाषाओं के बहु आयामी विकास एवं प्रयोग के लिए ऐसे उपकरण कारगर साबित हुए हैं । विकसित तकनीकों का ही प्रयोग करते हुए अत्यंत कम खर्च से अधिकाधिक उपयोगी साधन ‘राजभाषा साधन’ के नाम से इस कंपैक्ट डिस्क के रूप में उपलब्ध कराने का विनम्र प्रयास मैंने किया है । इससे नराकास के सदस्य-कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन के लिए उपयोगी साधन उपलब्ध रहना सुनिश्चित हो पाएगा । मेरे इस कार्य के लिए नराकास, कोयंबत्तूर के अध्यक्ष महोदय श्री के. श्रीनिवासन जी ने सहर्ष स्वीकृति दी है तथा संरक्षण भी प्रदान किया है । उनके प्रोत्साहन एवं कई कार्यालयों की मांग के फलस्वरूप यह सी.डी. आपके प्रयोग के लिए इस रूप में प्रस्तुत है । इसमें संकलित तमाम साधन एवं उपकरण वैसे अंतरजाल पर सहज ही उपलब्ध हैं । मिसाल के तौर पर एकाध उपयोगी उपकरण मैंने इस सी.डी. में शामिल किया है । ऐसे उपकरणों की जानकारी एवं जागरूकता के अभाव अथवा कार्यालयों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध न होने जैसे कारणों से इन साधनों का समुचित उपयोग करने से कई राजभाषा कर्मी वंचित रह जाते हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में उपयोगी महत्वपूर्ण जानकारी, राजभाषा विभाग द्वारा जारी पुस्तकें, वार्षिक कार्यक्रम, हिंदी भाषा एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण कैलेंडर, परिपत्र, वेब साइट पर उपलब्ध कराई गई जानकारी, विभिन्न प्रपत्र आदि के अलावा हिंदी भाषाई ज्ञान को विकसित करने हेतु उपयोगी एकाध पुस्तकें भी ई-पुस्तकों के रूप में अंतरजाल से संग्रहित करके इसमें संकलित किया है । राजभाषा विभाग तथा अन्य सरकारी एवं निजी वेबसाइटों पर ये चीजें डाउनलोड हेतु उपलब्ध हैं । सदस्य कार्यालयों द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति से नराकास को अवगत कराने हेतु निर्धारित प्रश्नावलियों, प्रपत्रों को भी इसमें संकलित किया है । भाषाई अनुप्रयोगों में मुख्यतः अनुवाद कार्य हेतु भारत सरकार का उपक्रम प्रगत संगणन विकास केंद्र द्वारा विकसित ‘मंत्र’ साफ्टवेयर संस्थापन के लिए उपयोगी उपकरण भी सी.डी. में संकलित हैं । कंप्यूटर व इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं के सक्षम प्रयोग में उपयोगी यूनिकोड फांट अनुप्रयोगों के लिए अपेक्षित कुछ उपकरण, मदद व उनका संपर्क भी इस सी.डी. में मैंने संकलित किया है । इन सबके अलावा राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन के लिए को प्रेरित व उत्साहित करने तथा हिंदी प्रयोग व प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने में उपयोगी सामग्री भी इसमें शामिल है ।
आशा एवं विश्वास है, इस सी.डी. का सही रूप में उपयोग करते हुए भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की दिशा में गतिशीलता लाने तथा हिंदी प्रयोग एवं प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने का भरपूर प्रयास अवश्य किया जाएगा । इस संकलन के संबंध में आपकी प्रतिक्रियाओं का सादर स्वागत है ।
डॉ. सी. जय शंकर बाबु
सदस्य-सचिव, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, कोयंबत्तूर एवं सहायक निदेशक (राजभाषा), क.भ.नि.सं., कोयंबत्तूर