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नराकास वार्षिक राजभाषा पुरस्कार - TOLIC ANNUAL OL AWARDS 2009-10

Wednesday, December 29, 2010

29 दिसंबर, 2010 को अर्द्ध-वार्षिक बैठक एवं हिंदी दिवस समारोह सुसंपन्न

कोयंबत्तूर नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की अर्द्ध-वार्षिक बैठक दि.29 दिसंबर, 2010 को सुसंपन्न हुई । बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष श्री वर्गीस एम.पी., क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त ने की । डॉ. वी. बालकृष्णन, उप निदेशक (कार्यान्वयन), क्षेत्रीय कार्यान्वयन कार्यालय (दक्षिण पश्चिम), कोचिन बैठक में राजभाषा विभाग के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित थे ।
2. बैठक का शुभारंभ प्रार्थना गीत से हुआ । समिति के सदस्य-सचिव एवं कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पूर्व सहायक निदेशक (राजभाषा) एवं वर्तमान में पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने सभी अधिकारियों तथा प्रतिनिधियों का स्वागत किया और समिति की गतिविधियों का परिचय दिया । तदुपरांत बैठक में पधारे विभिन्न कार्यालयों के प्रधान, वरिष्ठ अधिकारी एवं प्रतिनिधियों ने अपना परिचय दिया ।
3. समिति के अध्यक्ष श्री वर्गीस एम.पी., जी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि
राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देना हम सबका दायित्व है । हमारे इस दायित्व की पूर्ति की दिशा में आनेवाली कठिनाइयों के संबंध में आपसी विचार-विमर्श ज़रूरी है ।
सभी कार्यालयों के प्रधान आपस में मिल-बैठकर चर्चा करने के लिए एक संयुक्त मंच के रूप में नगर राजभाषा कार्यान्वन समिति की विशिष्ट भूमिका है । यह समिति एक सांविधिक समिति भी है । राजभाषा कार्यान्वयन संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने हेतु कारगर उपायों पर विचार करने का अवसर हमें समिति की बैठकों में मिलता है ।
कोयंबत्तूर नराकास अपने उद्देश्यों एवं कार्यों में काफ़ी सक्रिय है । यह समिति राजभाषा कार्यान्वयन की दिशा में सामयिक चेतना के साथ गतिशील है ।
समिति के सदस्य-कार्यालयों के उपयोगार्थ सदस्य-सचिव डॉ. बाबु द्वारा बनाई गई राजभाषा साधन सी.डी. (A Compact Disc of Official Language Resources) के द्वारा कंप्यूटरों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा मिला है । सरकारी कार्यों में कंप्यूटरों का बढ़-चढ़कर प्रयोग किया जा रहा है ।
समिति के द्वारा आयोजित सूचना-प्रौद्योगिकी कार्यशालाओं के कई अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं । समिति के सचिवालय को अब ई-मेल हिंदी में भी मिलने लगे हैं ।
अपने वक्तव्य के अंत में अध्यक्ष महोदय ने सभी कार्यालय प्रधानों तथा उपस्थित सभी प्रतिनिधियों को नव वर्ष की अग्रिम शुभकामनाएँ दीं ।
4 अक्तूबर को समिति द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी काफ़ी उपयोगी रहा है । कई विद्वानों ने अपने विद्वत्तापूर्ण प्रपत्रों के माध्यम से दक्षिण में हिंदी की स्थिति, गति, एवं प्रगति का गरिमामय चित्र प्रस्तुत किया है । संगोष्ठी में प्रस्तुत महत्वपूर्ण शोध लेखों को संपादित करके एक स्मारिका का प्रकाशन डॉ. सी. जय शंकर बाबु से संपादन में प्रकाशित किया जाएगा ।
कोयंबत्तूर 100 से अधिक केंद्र सरकारी कार्यालय एवं उपक्रम हैं । इनमें से केवल 15 कार्यालयों में ही हिंदी अधिकारी या हिंदी स्टॉफ तैनात हैं । बाकी कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन कार्य को देखने के लिए अवश्यक व्यवस्था की जरूरत है । मैं आप सबसे अनुरोध करता हूँ कि राजभाषा कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित रूप में सुनिश्चित करने के लिए अपने-अपने कार्यालयों में हिंदी संपर्क अधिकारियों तथा हिंदी समन्वयकों की व्यवस्था कर लीजिए ।
कोयंबत्तूर में हिंदी शिक्षण योजना के सुदृढ़ बनाने की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए उप निदेशक, हिंदी शिक्षण योजना को पत्र लिखा जा चुका है । यहाँ दो प्राध्यापक यहाँ कार्यरत है, मगर यहाँ प्रशिक्षण की माँग को देखते हुए अतिरिक्त प्राध्यापकों की तैनाती की जरूरत है ।
कोयंबत्तूर में हिंदी टंकण एवं आशुलिपि प्रशिक्षण केंद्र शहर में किसी अनुकूल जगह पर स्थानांतरित करने की जरूरत है ।
4. सदस्य-सचिव डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने बताया कि हर छमाही में संपन्न होनेवाली समिति की अर्द्ध-वार्षिक बैठकों में सरकारी कार्यालय, उपक्रमों के प्रधानों का उपस्थित होना तथा समीक्षार्थ राजभाषा कार्यान्वयन की अर्द्ध-वार्षिक रिपोर्ट समिति को समय पर प्रस्तुत करना आवश्यक है । अर्द्ध-वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्धारित कैलेंडर के अनुसार अंतिम तिथियों की सूचना देते हुए उन्होंने बताया कि 31 मार्च को समाप्त छमाही की रिपोर्ट 20 अप्रैल तक तथा 30 सितंबर को समाप्त छमाही की रिपोर्ट 20 अक्तूबर तक नराकास कार्यालय को भेजी जानी चाहिए । सदस्य कार्यालयों में प्रयोग में लाए जा रहे सभी कंप्यूटरों में हिंदी के लिए यूनिकोड का प्रयोग सुनिश्चित किया जाए । सभी पदधारियों को कंप्यूटर पर हिंदी प्रयोग में अवश्य प्रशिक्षण दिलवाया जाए । कंप्यूटर पर अधिकांश द्विभाषी मानक मसौदें बनवाकर उनका प्रयोग सुनिश्चित करते हुए निर्धारित लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया जा सकता है ।
तत्पश्चात बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार मदवार कार्यवाही आरंभ हुई ।
6. पिछली बैठक के कार्यवृत्त की पुष्टि – समिति ने दिनांक 6-7-2010 को संपन्न बैठक के कार्यवृत्त की सर्वसम्मति से पुष्टि की ।
7. सदस्य कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा – बैठक में उपस्थित राजभाषा विभाग के प्रतिनिधि डॉ. वी. बालकृष्णन, उप निदेशक (कार्यान्वयन) ने समीक्षा के दौरान अपने वक्तव्य में कहा कि-
· नराकास सदस्य कार्यालयों के वरिष्ठतम अधिकारियों की उपस्थिति महत्वपूर्ण है । यह अन्य नराकासों के लिए भी एक अनुकरणीय उदाहरण है ।
· नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति और समिति की बैठकों के उद्देश्य अलग-अलग हैं । अर्द्ध-वार्षिक बैठकों के मुख्य उद्देश्य छमाही के दौरान सदस्य कार्यालयों में राजभाषा कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा करना और भविष्य की कार्य योजनाओं की चर्चा करना ।
· सदस्य कार्यालयों से प्राप्त छमाही राजभाषा प्रगति रिपोर्ट के आधार पर ही समीक्षा की जाती है । अतः यह जरूरी है कि तथ्यात्मक आंकडों विधिवत भरी गई अर्द्ध-वार्षिक रिपोर्ट बैठक से पूर्व, निर्धारित समय सीमा तक समिति के सचिवालय में पहुँच जाना चाहिए ।
उप निदेशक (कार्यान्वयन) के उद्बोधन के दौरान कार्यसूची की मदों के अनुसार जिन मुद्दों की चर्चा की गई, उनका सारांश इस प्रकार है -
(i) हिंदी भाषा प्रशिक्षण – सभी कार्यालयों के प्रधान यह सुनिश्चित कर लें कि अपने कार्यालय में हिंदी भाषा प्रशिक्षण के लिए शेष पदधारियों को चरणबद्ध कार्यक्रम बनाकर तदनुसार प्रशिक्षण दिलवाया जाए ।
(ii) हिंदी भाषा टंकण एवं आशुलिपि प्रशिक्षण - हिंदी टंकण एवं आशुलिपि प्रशिक्षण जिन पदधारियों के लिए जरूरी है, उन्हें प्रशिक्षण हेतु नामित किया जाना सुनिश्चित किया जाए ।
(iii) कंप्यूटरों में हिंदी का प्रयोग – राजभाषा विभाग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कंप्यूटरों में हिंदी के प्रयोग बढ़ाया जाए ।
(iv) धारा 3(iii) का अनुपालन – सभी कार्यालयों में राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3(iii) में निर्धारित सभी 14 प्रकार के दस्तावेज द्विभाषी रूप में जारी करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।
(v) पत्राचार – राजभाषा विभाग द्वारा वार्षिक कार्यक्रम में ‘ग’ क्षेत्र में पत्राचार के लिए निर्धारित लक्ष्य 55 प्रतिशत हासिल करने हेतु प्रयास किया जाए ।
(vi) नियम 5 का अनुपालन – राजभाषा नियम, 1976 के नियम-5 का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु हिंदी में प्राप्त पत्रों का जवाब हिंदी में दिया जाना सुनिश्चित किया जाए ।
(vii) नियम 11 का अनुपालन – राजभाषा नियम, 1976 के नियम-11 का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु सभी रबड़ मुहरें तथा कार्यालय के नामपट्ट, सूचना पट्ट आदि नियमानुसार द्विभाषी / त्रिभाषी रूप में बनवाना सुनिश्चित किया जाए ।
(viii) वार्षिक कार्यक्रम की चर्चा – राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2010-11 के लिए जारी वार्षिक कार्यक्रम में निर्धारित लक्ष्यों की जानकारी सदस्यों को दी गई तथा सभी लक्ष्य हासिल करने का अनुरोध किया गया ।
(ix) पत्रिका का प्रकाशन - समिति की पत्रिका को यथाशीघ्र प्रकाशित करने हेतु सदस्य-कार्यालयों के प्रधानों से अनुरोध किया गया कि वे अपने कार्यालय / संस्थान का परिचय सहित राजभाषा कार्यान्वयन की गतिविधियों से संबंधित सचित्र जानकारी, मौलिक रचनाएँ तथा कार्यालय, संस्थान आदि अपने विभागीय गतिविधियों से संबधित रिपोर्ट भी यथाशीघ्र भेजें ।
(xi) सदस्य-निर्देशिका का प्रकाशन – नराकास सदस्य-निर्देशिका के प्रकाशन के लिए अपेक्षित सूचना तुरंत उपलब्ध कराने का अनुरोध सभी कार्यालयों के प्रधानों से किया गया ।
हिंदी दिवस का आयोजन
वर्ष 2010-11 में राजभाषा कार्यान्वयन में उत्कृष्ट कार्यनिष्पादन के लिए सरकारी कार्यालयों तथा उपक्रमों को राजभाषा वार्षिक शीर्ड पुरस्कारों तथा प्रशस्तिपत्रों का वितरण समिति के अध्यक्ष श्री वर्गीस एम.पी. तथा राजभाषा विभाग के प्रतिनिधि डॉ. वी. बालकृष्णन के करकमलों से किया गया ।
हिंदी पखवाड़ा – 2011 के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजाताओं को समिति के अध्यक्ष श्री वर्गीस एम.पी., राजभाषा विभाग के प्रतिनिधि डॉ. वी. बालकृष्णन तथा समिति के सदस्य-कार्यालयों के अध्यक्षों तथा वरिष्ठ अधिकारियों के करकमलों से पुरस्कार वितरण किया गया ।
नए सदस्य-सचिव का चयन
समिति के सदस्य-सचिव डॉ. सी. जय शंकर बाबु पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफ़ेसर के रूप में तैनाती होने के कारण नए सदस्य-सचिव के चयन के लिए की गई विस्तृत चर्चा के उपरांत इस बात पर सर्वसम्मति से सहमति जताई गई कि नगर स्थिति सरकारी कार्यालयों में वरिष्ठतम सहायक निदेशक (राजभाषा) को यह दायित्व संभालन चाहिए अतः श्रीमती विजयलक्ष्मी माधवन, सहायक निदेशक (राजभाषा), आयकर कार्यलय को सदस्य-सचिव के रूप में नामित किया गया । श्रीमती विजयलक्ष्मी माधवन ने बताया कि वैयक्तिक कारणों से यह दायित्व नहीं संभाल सकती, अतः समिति की अगली बैठक तक उन्हें यह दायित्व सौंपने का निर्णय लिया गया । नए सदस्य-सचिव को औरचारिक रूप में बैठक के दौरान ही दायित्व सौंप दिया गया ।
अंत में सदस्य-सचिव डॉ. सी. जय शंकर बाबु द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं राष्ट्रगान के साथ ही बैठक सुसंपन्न हुई।

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